आकाश अगम 30 Mar 2023 गीत अन्य #बचपन #आकाश अगम #Akash Agam #Akash Chauhan #आकाश चौहान #हिंदी कविता #lyrics 97901 0 Hindi :: हिंदी
रोज़ नहीं मिलती है फुर्सत जो मैं कर लूँ बात प्रिये गुज़रा बचपन गा पाने में गुज़रे सारी रात प्रिये।। भाई हो कर साथ नहीं था कैसे खेले क्या बोलें मित्र लड़ाई करें दर्द वो कैसे झेले क्या बोलें उस दुख के आगे अब के दुख लगते हैं बकवास प्रिये गुज़रा बचपन गा पाने में गुज़रे सारी रात प्रिये।। मेरी माँ ने छोटा चूल्हा मेरे लिए बनाया था अर्द्ध रात्रि में भूँख लगे तो मुझको दुग्ध पिलाया था मिल न सका वह स्वाद दुबारा मिल न सका अहसास प्रिये गुज़रा बचपन गा पाने में गुज़रे सारी रात प्रिये।। तू तू मैं मैं सबसे होती हँस हँस पीट लिया करते पैसे कोई माँग न सकता केवल प्यार दिया करते अब इज्ज़त के इस चक्कर ने ख़तम कर दिया प्यार प्रिये गुज़रा बचपन गा पाने में गुज़रे सारी रात प्रिये।। मौसम तो वैसे ही हैं पर मेरा मौसम नहीं रहा बाहों में तो अपार लेकिन मन में वो दम नहीं रहा कहाँ रहीं बरसातें वैसी कहाँ रही वो प्यास प्रिये गुज़रा बचपन गा पाने में गुज़रे सारी रात प्रिये।। जाने क्या हो जाता ये दिन बदले बदले क्यों लगते एक नहीं मैं ही रोता ये भाव सभी में ही उपजें कल फिर याद करेगा कोई होगा बारम्बार प्रिये गुज़रा बचपन गा पाने में गुज़रे सारी रात प्रिये।।