Barde Jyoti 26 May 2023 गीत प्यार-महोब्बत मैं हूँ जैसे हुस्न की परी 5866 0 Hindi :: हिंदी
नदियों, फुलों में घुमें जैसे हुस्न की परी अपने ही मण में गुणगुणाती जैसे शर्मिली सपनों के शहर में हैं जैसे, कोई तितली गुलाबों का रंग मेरे गालों में है चढा अपनी ही तारिफ़ क्या करू, मैं हूँ जैसे हुस्न की परी आसमानों का रंग मेरे आखों में है समाया आ जाए बारीश अभी, भीग जाए बदन भिगी हुई चोली से पाणी मोतीयों से गिरे ना जाने कौनसे दुनिया में मण उडके चला अपनी ही तारिफ़ क्या करूँ मैं हूँ जैसे हुस्न की परी नदी के झरनों के गित में मेरी पायल देखो छन छन करके बजती हैं मौसम है इतना सुहाना, मेरे बदन को छुकर मुझे छेडे जा रहीं हैं हवा कोई आए यहाँ तो जगाना हमें हम इस मौसम के यादों में खो गए अपने ही धुंध में मै नाचती हुं थंडी थंडी हवाएँ मुझे छेडे जा रहे हैं अपनी ही तारिफ़ क्या करूँ मैं हूँ जैसे हुस्न की परी