संदीप कुमार सिंह 18 Jul 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी रोमांचित होंगें। 8872 0 Hindi :: हिंदी
(दोहा छंद) जुगनू में मत खोजिए,प्यार भरी कुछ आस। मिले निराशा आप को, लोग करे उपहास।। जुगनू में मत खोजिए,जीवन भव्य प्रकाश। करे निशा में खेल यह,प्रेम भरा यह पाश।। जुगनू में मत खोजिए,भव्य दिव्य अहसास। कीड़े ये बरसात का,जो आता है पास।। जुगनू में मत खोजिए,रौनक भावन प्रीत। धोखा जैसा है चमक,इनका यह है रीत।। जुगनू में मत खोजिए,सुरभित दिव्य पराग। कुछ पल इसका ज्योति है, जिसमें मिले न आग।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....