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कितनी नज़दीक-फ़र्क इतना -सा है फिर भी तुम कितनी नज़दीक हो

मनोज कुमार 23 Jun 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत प्यार एहसास दूरी खफा 5160 0 Hindi :: हिंदी

कितनी नजदीक

तुम दूर हो कई मील मुझसे
फ़र्क इतना -सा है, तुम्हें देखें नहीं है
फिर भी तुम कितनी नज़दीक हो
शाम के घुंघराले चोटियों में,
उलझी तेरी बातें कुछ बयां करती है
छुउँ जो उसे नजरों से ,तो भीग जाती है उँगलियाँ
इरादा बिछड़ने का है क्या?
जो कई निशाँ बन जाती है

क्या है साज़िश इन घटाओ के मुंडेर पे
तुम्हीं नज़र है, साएँ बनके इस जहाँ में
आता है यकीं मुझे फासले दूर है
फिर भी इतने करीब है,
कि दिल की बेचैनी करवट बदलने नहीं देती
मुझसे कुछ गुनगुनाती है
तुम्हारी तन्हाई मुझे डंसती है

- मनोज कुमार 
  गोण्डा उत्तर प्रदेश

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