संदीप कुमार सिंह 03 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4734 0 Hindi :: हिंदी
(रोला छंद) आया बचपन याद,खुशी से मैं तब झूमा। एक एक कर याद,सभी ने मुझको चूमा।। उस दिन के स्कूल,जहां करता था मस्ती। बच्चों से अनुराग,और था वतन परस्ती।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा) बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....