संदीप कुमार सिंह 27 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 6269 10 5 Hindi :: हिंदी
(दोहा छंद) करें मेहनत दिल लगा, सपना हो साकार। कदम चुमें तब सफलता,जीवन हो गुलजार।। सपना हो साकार तब, सतत लगन से काम। करें कर्म को हृदय से, रौशन होगा नाम।। सपना हो साकार जब,जीवन लगे बहार। फूलों सा हों चेहरा,मिलते सबसे प्यार।। सपना हो साकार यूं, दिवस रात रख ध्यान। सिर्फ सिर्फ सपना पले,जैसे रख अभियान।। सपना हो साकार जो,गुलशन बन परिवार। करते निर्मल प्यार सब, देते हैं अधिकार।। बच्चे लगें सच्चे सदा,मीठी बोली बोल। भाते सबको हृदय से, प्रीत द्वार के खोल।। बच्चे भविष्य कल बनें,होकर नव उस्ताद। बड़े बड़े वह काम कर,सबको करते शाद।। बच्चे से कर प्यार सब,दे दें सुंदर ज्ञान। ज्ञानी बन वह एक दिन,बनें देश अभिमान।। लगे दिव्य मासूम मन,रहते सरल स्वभाव। मातु पिता के जान हैं, रखिए सदा लगाव।। बच्चे विश्व नेता बने,बने देश का शान। गौरव करे समाज को,सबके हैं वह आन।। बच्चों को दें पथ सही, करिए दिल से प्यार। रहें बढ़ाते चाह को,पावन देय विचार।। बच्चे पर रखिए नजर,पग पग पर सम्हाल। एक दिवस वह साथ दे,देंगें रोटी दाल।। बच्चों का दिल मत दुखा, देते रह सम्मान। सुन उसकी नव बात को, होते प्रसन्न जान।। सुन्दर सुन्दर भेंट कर,बच्चों को दें हर्ष। खुशियों में जब वह रहे,करे अटल उत्कर्ष।। रखें मनोबल को बढ़ा,करिए नहीं निराश। बच्चे तब आगे बढ़े,छू ले तब आकाश।। बाल दिवस पर कीजिए,बच्चों से कुछ बात। देकर सुन्दर ज्ञान को, खुशियां दें बारात।। बाल दिवस पर कीजिए, बच्चों को कुछ दान। चाकलेट का भेंट कर,बढ़ा लीजिए मान।। बाल दिवस पर कीजिए, बच्चों से अति प्रेम। आज ह्रदय से दिल लगा, सजा दीजिए फ्रेम।। बाल दिवस पर कीजिए, बच्चे संग विहार। खुशियों में ही आज चल, सुन्दर दें उपहार।। बाल दिवस पर कीजिए, हर्ष भरा सब काम। सभी चाह को पूर्ण कर,पावन दें पैगाम।। आज ह्रदय से दीजिए, बच्चों को कुछ दान। चाकलेट का भेंट कर,बढ़ा लीजिए मान।। आज दिवस है खास में, बच्चों से कर प्रेम। सरल ह्रदय से दिल लगा, सजा दीजिए फ्रेम।। बच्चे होते ईश सम,बच्चे संग विहार। खुशियों में ही आज चल,स्वर्णिम कर लें प्यार।। कहते बाल दुलार से,हर्ष भरा कर काम। सभी चाह को पूर्ण कर,पावन दें पैगाम।। सबके दाता राम हैं,हृदय बसा लें राम। सब प्रभु ही सम्हाल दें,करें सरल हर काम। सबके दाता राम हैं,रहें खुशी में यार। गम को हम तूं मार दें,हरदम रखें जुगार।। सबके दाता राम हैं,सबके पालनहार। राम संग कर प्रीत तूं,सदा रहें उदगार।। सबके दाता राम हैं,कण कण में है वास। सर्व भेद को जान कर,करते पूरा प्यास।। सबके दाता राम हैं,मन भज लें अब राम। जन्म मरण से मुक्त कर,देंगें सही मुकाम।। संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
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I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....