Sudha Chaudhary 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक 82134 0 Hindi :: हिंदी
मानव कितना दीन हो गया बड़ा संवेदनहीन हो गया आगे बढ़ता जाता है मुड़कर नहीं देखता उसको जिस पर चढ़कर खेली आनंदो की होली। मानव कितना दीन हो गया त्याग और तपस्या का अब मोल नहीं है उसको ममता से नहीं रह गया राग जिसकी बोली से बोला था प्रथम शब्द वह तो। खेल खेल में खेलो मन के सारे खेल वो मन के रोक ना पाया उस तन को जिस पर अभिमान था उसको। सुधा चौधरी क