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अवध नगरी में होली , खेले रघुरइया

Bholenath sharma 17 Mar 2024 कविताएँ समाजिक अवध नगरी में होली , खेले रघुरइया 4790 0 Hindi :: हिंदी

अवध नगरी में होली ,खेले रघुरइया                खेले होली , हो खेले होली ,चारों भइया                                    
                                                   अवध नगरी में होली , खेले रघुरइया          
                                                    प्रीति के  रंग सें , रंग दो तन मन                   रंग जाये मन ,एक बार सखिया ,                छूटे न सखी , ये अनुराग के रंग                          जिंदगी रंग जाय , यही रंग सखिया ।             
                                                   अवध नगरी में होली , खेले रघुरइया                    
                                                    
                                                    
                                                    मारो मारो पिचकरी , उड़ाओ गुलाल रसिया ,                                                   आज रगों सारी गोरी , के गाल रसिया ,                                                                      झूमत है ,नाचत है , गावत है , आज मगन हैं संसार सखिया                                   रंग दों , प्रीति के रंग संसार सखिया ।

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