संदीप कुमार सिंह 03 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 6560 0 Hindi :: हिंदी
(दोहा छंद) जो बोया सो काट ले, होना नहीं निराश। कर ले अथक प्रयास से,खुद के लिए प्रकाश।। जो बोया सो काट ले,और रहें तैयार। साथ वक्त के जो चले,दुनिया करती प्यार।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....