संदीप कुमार सिंह 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक मेरी इस कविता को पढ़कर पाठक गण अवश्य ही लाभान्वित होंगें। 6694 0 Hindi :: हिंदी
सबके दाता राम हैं, हृदय बसा लें राम। सब प्रभु ही सम्हाल दें, करें सरल हर काम। सबके दाता राम हैं,रहें खुशी में यार। गम को हम तूं मार दें,हरदम रखें जुगार।। सबके दाता राम हैं, सबके पालनहार। राम संग कर प्रीत तूं, सदा रहें उदगार।। सबके दाता राम हैं, कण कण में है वास। सर्व भेद को जान कर,करते पूरा प्यास।। सबके दाता राम हैं, मन भज लें अब राम। जन्म मरण से मुक्त कर,देंगें सही मुकाम।। संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा) बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....