Poonam Mishra 05 Jun 2023 ग़ज़ल समाजिक सच कह नहीं पाती हूं 7116 0 Hindi :: हिंदी
आजकल न जाने क्यों ? मैं बहुत कुछ कहना चाहती हूं !! पर बोल नहीं पाती हूं !! सच तो बयां करना चाहती हूं !! पर झूठ भी बोल नहीं पाती हो !! न जाने क्यों ? अंदर-अंदर मैं रोज मरती हूं !! अब मैं कैसे खुद के साथ रहूं !! दिल कहता है !! ए चांदनी भरी रातें चलो आज की रात मैं तेरे साथ रहूं !! लोगों के बदलते चेहरों ने मुझे डराया है बहुत !! मुझे जब मैं कोशिश करती हूं सच की उंगली पकड़ कुछ पल चलती ही रहूं !! दिल कहता है ए चांदनी रातें !! अब तू मेरे साथ रहे और मैं तेरे साथ रहूं स्वैच्छिक लेखिका पूनम मिश्रा