Sudha Chaudhary 15 Jun 2023 कविताएँ समाजिक 6402 0 Hindi :: हिंदी
क्या सुरक्षित है अपनी बेटियां। क्यों नहीं सुरक्षित हैं बेटियां। अंकुश लगेगा कब उन बेरहम दरिंदों पर जिसने छीना है उसकी मासुमियत को। बातें करतें हैं हम आगे बढ़ने को इसी को आगे बढ़ना कहते हैं। जहां बच्ची, बूढ़ी नहीं बच रही कोई। किसका विश्वास करें, किसका तिरस्कार करें, कहां कहां किस रूप में बैठा जानवर कोई। बदलो समाज तुम बदलो विचार को, मानव धर्म तुम्हारा , कहता नहीं है यह। धिक्कारा नहीं क्या? अपराध यह तुम्हारा। संसार में गुणी तुम पशुता नहीं है चारा। सुधा चौधरी बस्ती