संदीप कुमार सिंह 24 Jun 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5932 1 5 Hindi :: हिंदी
(दोहा छंद) खुशियां घर में नित रहे, गौरव मय है माथ। बड़े भाग्य की बात है, मातु पिता हैं साथ।। बड़े भाग्य की बात है, मनुज वंश में जन्म। सदा धरा पर है खुशी, सुन्दर लगते बज्म।। बड़े भाग्य की बात है,खुशियां मेरे पास। दिल में चाहत खूब है, होंगें पूरे आस।। बड़े भाग्य की बात है, रिश्ते नाते खास। रिश्तों को रखता बचा, जीवन में है हास।। बड़े भाग्य की बात है, सब साधन है आज। और अभी अरमान है,अपना ही हो राज।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
10 months ago
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....