संदीप कुमार सिंह 30 Jun 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 6073 0 Hindi :: हिंदी
कुंडलिया छंद पानी है अनमोल धन,करें नहीं बेकार। बिन पानी सब शून्य है,तन मन हो बेजार।। तन मन हो बेजार,जहां ये नीरस होता। रखें याद यह बात,नित्य भव में हो गोता।। कहते कवि संदीप,खुशी जीवन की रानी। जल थल को सम्हाल,बचाएं मन से पानी।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....