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मेरे प्रिय पिताजी

Shubham Kumar 30 Mar 2023 आलेख दुःखद मेरे प्रिय पिताजी 30092 0 Hindi :: हिंदी

आज मेरी कामयाबी, मेरी कदम चूम रहे हैं, लेकिन मैं अकेला चुपचाप😪 एक कमरा में बैठा हूं, मेरी आंखें नम हो चुकी है, मैं आज बहुत ही, आत्मग्लानि को महसूस कर रहा हूं😪 हां मैं कठोर दिल इंसान हूं, बात यह है कि_ जब मैं बहुत छोटा था_ तब मेरे पिताजी मुझे_ छोटी मोटी गलतियों पर भी, मेरी पिटाई कर देते थे, कभी-कभी तो सारा दिन, खाना भी नहीं मिलता था,  तब मेरी मां_ चुपके से आकर, मुझे खाना खिला जाती_ और कहती थी,  कि तू गलतियां क्यों करता है, और तुम्हें कुछ बुरी आदतें. ने घेर लिया है, जैसे सारा दिन ताश खेलना, घर लेट से पहुंचना, दोस्तों के साथ धूम्रपान करना , यह बात तुम्हारे पिता को, अच्छा नहीं लगता,, फिर अगले ही दिन में, किताब लेकर पढ़ने चला जाता, गलतियां करने कि मुझ में, साहस नहीं होती थी,, हां मैं आपका बहुत बड़ा अपराधी हूं, अब मुझे मेरी गलतियों पर, डांट लगाने वाला कोई नहीं है, मैं अकेला हूं, लेकिन जब जब, मुझ में गलतियां करने की,  विचार भी आता है तो, मेरे मन के मस्तिष्क में, एक खडूस पिता है, एक चिड़चिड़ा  पिता है, जो मेरी बुराइयां, मुझे डांट फटकार लगाता है, आज जो मुझे, ऐसा लगता है मेरी गलतियों पर, आज भी मेरी डंडे से पिटाई होती है,, हां एक डर, जिंदा है मेरे अंदर, पिता  डांट फटकार बनकर,, जो मुझे गलतियां करने से, रोकती हैं, जो मुझे गलतियां करने की, इजाजत नहीं देता, और मेरी गलतियों पर, सबसे पहले, हमें भरा भला बुरा सुनाते हैं, हां मेरी आत्मा के अंदर,, आज भी उनका व्यवहार,, सिमटा हुआ है, उन्होंने कभी भी, मेरी गलतियों को, अनदेखा ना किया😪 समाज भले ही, उस पिता के व्यवहार को, गलत मानता होगा, खडूस  पिता होगा उसके नजर में,, लेकिन आप महान थे पापा, यू आर ग्रेट मैन,, आज हर पल😪 उनकी बातें, गूंजती रहती हैं😪 आप मुझसे, तनिक भी दूर नहीं है,, मैं आज भी जब घर लेट पहुंचता हूं,, तो बिल्ली की तरह दबे पांव, प्रवेश करता हूं, मुझे ऐसा क्यों लगता है? कि आज है मेरे पिता, हमें फटकार लगाने के लिए, हमारी पिटाई करने के लिए, एक डंडा मेरे लिए😪 वैसा ही पड़ा है😪 यू आर ग्रेट पापा, आज भी जब मेरे, शर्ट का बटन, भी खुला रहता है तो, मैं उसे तुरंत संभालता हूं, ऐसा लगता है जैसे, अभी भी दो चार बातें सुनने को मिलेगी, और आज भी जब कोई कार्य करता हूं, तो उसे ठीक प्रकार से, जांच कर लेता हूं, नहीं तो ऐसा लगता है, जैसे मेरे पिताजी, आज भी मुझे, नालायक निकम्मा, सुना देंगे' मैं उस पल को भूला नहीं हूं,, जब मैं आपके, साथ पहली बार,  जबान  लगाया था,, मैंने आपको दिल को, ठेस पहुंचाया हूं,, एक पुत्र को कभी भी, अपने पिता के डांट फटकार को, बुरा नहीं मानना चाहिए, मैंने ना जाने कितनी बार, मन ही मन में, आपकी निंदा की थी,, आपको खूब बुरा भला कहा था,, आज लोग ऐसे पिता को, अनपढ़ और, सनकी पिता कहते हैं, जो हमेशा अपने बेटे को डांट फटकार लगाते हैं, लेकिन आप ग्रेट हो पापा, आज मेरी भले ही कामयाबी, कदम चूमती है, लेकिन मेरे लक्ष्य को, साधने वाले, आप ही हो😪 नहीं तो मैं निकम्मा बनकर ही रह जाता, मैं तो उसी तरह, दोस्तों के साथ, बुरी आदतों को अपनाकर, आज पता नहीं मेरा जीवन क्या होता? लेकिन मुझे गर्व है कि, मेरा पिता, उन्होंने अपने प्रेम के बीच😪 मेरी गलतियों को अनदेखा ना किया, हां मेरे प्रिय पिताजी, आप मेरे मन की यादों में😪 आज भी रहते हो, और हमें हमारी गलतियों पर, फटकार लगाते हैं, मेरे अंदर से, इस फटकार को कोई नहीं मिटा सकता, क्या हमेशा मेरे साथ रहता है, एक पिता की तरह साया बनकर, जो हमेशा अपने बेटे को,  सही रास्ता दिखाता है,

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