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युग युगत कारण ये तारणहार- जग ये जीवन प्राण उसका रूप

मोती लाल साहु 20 Jan 2024 शायरी अन्य जग-ए-जीवन प्राण रूप ईश्वरा 7730 0 Hindi :: हिंदी

युग-युगत कारण-ए-तारणहार,
जन-ए-जगत का वह तारणहार,,

कण-कण में रहता वह तारणहार,
जग-जीवन प्राण रूप ईश्वरा।।
-मोती

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