संदीप कुमार सिंह 18 Nov 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है।जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगे। 2843 0 Hindi :: हिंदी
#विद्या:-मुक्तक छंद #"सृजन समीक्षार्थ प्रस्तुत" झूठ और पाखंड को,कर देंगे हम खत्म। सत्य धर्म से ही यहां,मिले अटल एकात्म। जगमग इस संसार में,मिले बहुत आनंद- जीना है आनंद में,होंगे कभी अनात्म।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:-समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....