Neetesh Shakya 01 Apr 2024 कविताएँ धार्मिक आदमी के न सच्चे कर्म #neeteshshakya #neetesh Kumar #google 2852 1 5 Hindi :: हिंदी
आदमी बना... है, शर्म बेशर्म फूटी है किस्मत ना सच्चे कर्म| दौलत के आगे प्यार भुलाए| अपनों से रिश्ता पैसा छुड़ाए||1|| रिश्तेदारों को देख करते भ्रम| आदमी बना... है, शर्म बेशर्म| कपड़े तन पर छोटे चलते हैं| दर्जी बनाने से झिजकते हैं||2|| लड़कियों में अब ना रही है शर्म| आदमी बना... है, शर्म बेशर्म| पढ़ने में अब मन नहीं लगता| लड़का लड़की में चक्कर चलता||3|| सही ना शिक्षा गलत कदम| आदमी बना... है, शर्म बेशर्म| कलमकार ने हिम्मत जुटाई| आज तक लड़के ने, न लड़की भजाई||4|| इसमें लड़कों का ना कोई दोष-कर्म| आदमी बना... है, शर्म बेशर्म| ****Neetesh Shakya****
2 weeks ago
CSC Employee, Cyber Crime Information, Computer Service 💔टूटे हुए सपनो...