Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #Rambriksh kavita #Shaam per kavita #Suraj per kavita #ambedkarnagar Poetry 67084 0 Hindi :: हिंदी
कविता -ढलता हुआ सुनहरा शाम रंग बिरंगे बादलों संग लाल सुनहरे पीले रंग याद दिलाता मन में आता भूलने से भी भूल न पाता बातें तमाम, ढलता हुआ सुनहरा शाम। रंग रंग के मेघ गगन में भरते थे जीवन तन मन में पवन सुहानी कहे कहानी कर देती थी समा सुहानी हो अभिराम, ढलता हुई सुनहरा शाम। रक्त वर्ण का नभ में सूरज चलता दिल सा रख कर धीरज चंचल मन में दिल धड़कन में बसे रहोगे हो संनाम, ढलता हुआ सुनहरा शाम। ढलता हुआ सुनहरा सूरज लगता जैसे मन का नीरज गजब समागम निशा का आगम क्षण जीवन का है अति उत्तम अनुपम वाम, ढलता हुआ सुनहरा शाम। ढलते ढलते रंग बिखेरे चलते चलते प्यार बटोरे दुनिया भर में भू अम्बर में मंदिर मस्जिद गिरजाघर में बिन विश्राम, ढलता हुआ सुनहरा शाम। रचनाकार- रामवृक्ष, अम्बेडकरनगर।
I am Rambriksh Bahadurpuri,from Ambedkar Nagar UP I am a teacher I like to write poem and I wrote ma...