संदीप कुमार सिंह 06 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5962 0 Hindi :: हिंदी
(मुक्तक छंद) लोगों ने खुद से खुद के लिए कांटे दार तार लगा लिए। शिकवा_शिकायत कर खाली नफरत के ये सब बीज बो लिए। फिर भी ये सब लोग अनजान हैं मिले इस भयानक सितम से_ इसमें ही उलझ कर ऐसे सारे के सारे सदा रह गए। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....