Sudha Chaudhary 03 Jul 2023 कविताएँ दुःखद 6496 0 Hindi :: हिंदी
मैं भूल गयी उन पन्नों को जिसमें बस दर्द तुम्हारा था कितना आंखों को धुलती जो हरदम बहती धारा था। जितना मैं स्वर्णिम सुख की आश किया करती थी उतना तुम प्रहरी बनकर प्रहार किया करते थे। सुधा चौधरी बस्ती