संदीप कुमार सिंह 26 Jun 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी रोमांचित होंगें। 9854 5 5 Hindi :: हिंदी
(मुक्तक छंद) आज आओ आयत की तरह मिल जाऊं। आमने सामने होकर प्रिय खो जाऊं। आनन्द की ज्योति मन में जगमगा उठे_ सारा फासला ही अब खत्म कर जाऊं। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
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I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....