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जीवन में क्या क्या देखा

सरफिरा लेखक 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद अपनो को खोना 58782 0 Hindi :: हिंदी

एक गरीब को छूपते छूपाते देखा मैने
लेकर सौ रुपए ब्याज पर रोते रुलाते देखा मैने
❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
 घर की हालत ठीक नहीं 
 छत से पानी टपकते देखा मैने। 

 भाई का हाथ था हाथो में  
उसको दुनिया से जाते देखा मैने। 

एक बीमारी से तड़फ रही मा मेरी
स्वम डॉक्टर बनते देखा मैने। 

लेकर सौ रुपए ब्याज पर 
रोते रुलाते देखा मैने। 
❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
 ममता घुट रही मेरे घर की
 एक एक कर जाते देखा मैने। 

चन्द पैसे लिए ब्याज पर उन्हें चुकाते चुकाते देखा मैने। 
एक गरीब को छूपते छूपाते देखा मैने। 

 बचपन भी बड़ा अमीर था मेरा
 ना पैसे की चिंता ना बीमारी का डेरा। 
हर एक को खुद से प्यार करते 
देखा मैने। 

 गरीबी मेे बड़े अमीर थे हम
रूखी सूखी खाकर भी खुश नसीब थे हम। 

मेरे आंगन में बच्चो का डेरा देखा मैने 
सब के साथ बैठ कर फिर शक्तिमान देखा मैने। 

 मेरा आंगन बिखर गया
दोस्तो का मेला उजड़ गया। 
 जो अपने कहते थे हम अपने है
उन सब को एक एक कर जाते देखा मैने। 
मात: पिता को खुशी से गुनगुनाते देखा मैने
लेकर सौ रुपए ब्याज पर रोते रुलाते देखा मैने। 

पिता के मरने पर भाई को छूपते छूपाते रोते देखा मैने
 बहन को पिता के लिए रो रो कर मरते देखा मैने। 

गरीबी में जिया मेरा घर गरीबी में मरते देखा मैने
चन्द पैसे नहीं दवाई के दूसरो के हाथ जोड़ते देखा मैने। 

लेकर सौ रुपए ब्याज पर रोते रुलाते देखा मैने। 

कच्चा मेरा घर तूफान आते देखा मैने
पाई पाई जोड़ी  मात पिता ने
तिनके की तरह उस को गिरते गिराते देखा मैने। 


मित्रो का साथ कुछ दिन ही साथ देखा मैने
 एक पल में मित्रता टूट गई जब गरीबी को देखा मैने। 

 मा के आंशु पल पल निकले दवा दुवा काम ना आई कोई
हमे भोजन मिला हर शाम
लेकिन मेरी मा भूखी ही सोई। 

किसी चिंता मेे मा को 
तड़फते बिखरते देखा मैने
लेकर सौ रुपए ब्याज पर रोते रुलाते देखा मैने। 

वो दिन भी बड़ा अजीब था 
 दिया जिस दिन जन्म मा ने वो मेरा नसीब था

दुर्भाग्य था वो दिन मेरी मा पर भारी हुआ
रुक रुक मा की सांस आती रही
अंत समय में भी मा के मुख से बच्चो की आवाज आती रही। 

जो पृथ्वी से भी भारी थी
एक बीमारी के कारण टूटी खाट पर पड़ी मेरी मा सबसे प्यारी थी

फिर मा को दुनिया से जाते देखा मैने
एक गरीब को छूपते छूपाते देखा मैने
लेकर सौ रुपए ब्याज पर रोते रुलाते देखा मैने। 

इस पैसे वाली दुनिया में गरीब को मरते मराते देखा मैने। 

बहन की राखी भाई का प्यार दुनिया से जाते देखा मैने। 

 बिन वर्षा के बादल  गरजते देखा मैने
पिता को मरते मा को तड़फते   खुद को रोते रुलाते देखा मैने
मा की हर चीज रखी बड़ी
सम्भाल कर
 उन में से खुशबू को आते देखा मैने। 

पिता का कुर्ता भी याद है उस को अपने बदन पर डाल कर देखा मैने

बहन की एक एक राखी बांधी मैने आज
जो संभाली थी अपनी किताब में
देख   बंधी हाथ में राखी आंसू से किताब भिगोते देखा मैने। 

एक गरीब को छूपते छूपाते
देखा मैने
लेकर सौ रुपय ब्याज पर रोते रुलाते देखा मैने। 

मैं भी कब तक रहूंगा अमीर दुनिया में गरीब बन कर 
गरीबों पर हस्ते हसाते देख मने
अब नहीं आंखे पहचान पाती किसी को
कौन पास खड़ा वो भी नही देखा मैने
आवाज़ लगा कर  बोलता कोई उस को पहचानते देखा मैने
अब तो काल चक्र के चक्कर में उम्र को पिस्ते देखा मैने
 खुद को लड़ते बचते  बीमारी के जाल में फंसते देखा मैने
एक गरीब को छूपते छूपाते देखा मैने
लेकर सौ रुपए  ब्याज पर  रोते रुलाते देखा मैने। 

ईश्वर की भक्ति और गरीब की दुआ कभी व्यर्थ नहीं जाती
😰😰😰😰😰😰😰 ✍️✍️✍️✍️✍️✍️ सरफिरा लेखक

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