संदीप कुमार सिंह 01 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 6456 0 Hindi :: हिंदी
कुंडलिया छंद संकट हरने के लिए, मधुर वचन के साथ। आगे बढ़िए आप सब,हाथों में ले हाथ।। हाथों में ले हाथ,भला करता हम सबका। संकट करता दूर,दुआ करता हूं रबका।। कहते कवि संदीप,बनो मत प्रिय जन बंकट। सरस सरल हो प्राण,दूर रहता तब संकट।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....