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खामोश लब-सिर्फ तुम्हारी चाहत में

कुमार किशन कीर्ति 07 Jun 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत खामोश लब,खुदा, धड़कन 9379 0 Hindi :: हिंदी

तुम्हारी खामोश लब,
ना जाने मुझसे क्या कहना चाहते हैं?
कोई तो ऐसी बात है,जो तुम्हारी
लबों पे आकर रुक जाती है।
कभी-कभी मुझे ऐसा लगता है,
या मेरा दिल मुझसे यह कहता है।
तुम्हें खुदा ने बनाया है सिर्फ मेरे लिए,
तुम्हारी हर धड़कन हर चाहत है मेरे लिए।
यह दिल अब बेचारा बन गया है,
सिर्फ तुम्हारी चाहत में।
तुम्हें क्या पता?
कही मैं रुसवा ना हो जाऊँ।
हर गली-गली,गाँव-गाँव में।
थोड़ी करीब आओ,
अब दूर क्यों खड़ी हो तुम।
इन खामोश लबों से अपनी
मोहब्बत का इजहार कर दो तुम।
तुम्हारी खामोश लब,
ना जाने मुझसे क्या कहना चाहते हैं?
कोई तो ऐसी बात है जो तुम्हारी
लबों पे आकर रुक जाती है।

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