Irfan haaris 07 Apr 2023 कविताएँ समाजिक जड़ें कट चुकीं हैं 8107 0 Hindi :: हिंदी
जड़ें कट चुकीं हैं हमारी संस्कृति की हमारी सभ्यता की तीव्र गति से बदलते संसार में मानवता की सूख चुकीं हैं शाखाएं सगे सम्बंधी और मित्रता की स्वार्थ के जल से सूखे पत्तों को हरा करने का प्रयास कर रहे हैं लोग अपरिचित रुप रंग अपरिचित भाषा संस्कृति को अपनाए गौरवशाली महसूस कर रहे हैं लोग