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जिसपर तुमने दिल लगाया-मन में जिसका चित्र बनाया

Pradeep singh " gwalya " 22 Sep 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत Pradeep singh ‘gwalya' 7931 0 Hindi :: हिंदी

अरे भाया !
अटक गई तुम्हारी माया।

जिसपर तुमने दिल लगाया
मन में जिसका चित्र बनाया
 दिन रात जिसे गुनगुनाया
वो आज तक स्वप्न में न आया
तो भाया !
अटक गई तुम्हारी माया।

जब मिलने का था मन बनाया
डर डर के था पास वो आया
ये आपकी ही गलती थी भ्राता
जो आपके मुंह से शब्द न आया
रे भाया ! 
अटक गई तुम्हारी माया।

जिसके पीछे स्वेद बहाया
मुस्किल से था जिसे रिझाया
और कलेवा पर फिर उसे बुलाया
फिर भी देखो वो ना आया
तो भाया!
अटक गई तुम्हारी माया।

फिर कुछ दिन ठहर के हमने पाया 
जिसपर वक्त किया था जाया
खुद थका और मुझे थकाया
वो तो हो चुकी संपत्ति पराया
रे भाया !
अटक गई तुम्हारी माया।

यूं घूमे बनके उसका साया
ईश्वर को ये रास न आया
दो दिन में था जो भी पाया
उसने पार ना लगाया
अरे भाया!
सचमें अटक गई तुम्हारी माया।।

                               प्रदीप सिंह ‘ग्वल्या’

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