Bholenath sharma 29 Feb 2024 कविताएँ दुःखद मन लगता नहीं 1991 0 Hindi :: हिंदी
एकान्त चुन लूँ , या मौन में रह लूँ मन किसी काम में लगता नहीं , रोकूँ बहुत पर मन जाता वही ।कुछ करूं में पर मन लगता नहीं , नींद आती नहीं चैन मिलता नहीं । उलझनों में फंसा मन कहीं लगता नहीं , हो हास्य फिर भी हँसी आती नहीं । किससे कहूँ में अपने मन की व्यथा , कौन है वह जो हर ले मेरी हर व्यथा ।