Jyoti yadav 11 Jul 2023 कविताएँ समाजिक रिश्ता इंसानियत का तुम दिल से निभा लो 6623 0 Hindi :: हिंदी
रिश्ता इंसानियत का तुम दिल से निभा लो एक फर्ज मिला है तुमको कर्ज अब चुका लो हर हृदय में मानवता का अब सार भर दो मिटा लो दूरियां दिलों में अब प्यार भर दो ना रहे कोई यहां भूखा नंगा ना हो यहां कोई दंगा आओ मिलकर अब शांति का आविष्कार कर दो मत रखो द्वेष ना करो क्लेश पहुंचे ना वाणी से तुम्हारे किसी को ठेस सब का सत्कार कर लो मोहब्बत की बेड़ा पार कर लो ईष्या को मन से भगा लो मन में खुशियों का चिराग जला लो प्रेम और ज्ञान से अंधकार को मिटा लो एक फर्ज मिला है तुमको कर्ज अब चुका लो रिश्ता इंसानियत का दिल से निभा लो ज्योति यादव के कलम से