धर्मपाल सावनेर 30 Mar 2023 शायरी दुःखद 7906 0 Hindi :: हिंदी
अधूरी है किताब जिंदगी बोहोत कुछ अभी तो खाली है पता नही मुकद्दर में ये क्या क्या लिखने वाली है।। हर रोज ही सफर में पत्थर देते हे ठोकरें बोहोत हमने भी जख्मी रहने की आदत सी बना ली है।। खुदा मेरे मुकद्दर में कुछ लिख ना सका तो क्या हुआ मुकद्दर खुद ही बनाऊंगा मैने भी कलम उठा ली है।।