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धर्मपाल सावनेर

धर्मपाल  सावनेर

धर्मपाल सावनेर

@ --34
, Madhya Pradesh

मेरे लब्जो की जुबा ना कोई मुसाफिर हूं मेरा ठीका ना कोई।। राम और रहीम को देखा है कहा में इंसा हु मेरा खुदा ना कोई।। शायर , गजल ,कविता, गीत लेखक धरम सिंग राजपूत

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My Articles

कुछ ऐसे तलास है किसी की मुझे कुछ ऐसे तलाश है किसी की मुझे अंधेरे को तलाश हो रोशनी की जैसे चंदा को तलाश हों चांदनी की जैसे अंधे को तलाश read more >>
जो वक्त आज मजे ले रहा है वही वक्त कल मौज करवाएगा Dharam singh Rajput 8109708044 read more >>
घरों मे नही दफ्तरों में नही सुकु अकेलेपन मे है लश्करो में नही ।। खुद में तू झांक खुद में तलाश खुद में खुदा तू पाएगा पत्थरों मे नहि ।। read more >>
प्रेम है तो ईश्वर हे प्रेम ही समस्त संसार प्रेम से हर प्राणी है प्रेम ही उपहार प्रेम की परिभाषा नहीं प्रेम का ना आकार प्रेम ही तो जी read more >>
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