मेरे लब्जो की जुबा ना कोई
मुसाफिर हूं मेरा ठीका ना कोई।।
राम और रहीम को देखा है कहा
में इंसा हु मेरा खुदा ना कोई।।
शायर , गजल ,कविता, गीत लेखक
धरम सिंग राजपूत
ये किस तरह का नशा है के उतरता ही नही
ऐसा नहीं के जतन कुछ भी करता ही नही ।।
हर रोज़ करता हु में जी भर के बाते मगर
और जी करता है मगर जी भरता � read more >>