संदीप कुमार सिंह 03 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 6101 0 Hindi :: हिंदी
(दोहा छंद) आशा के आकाश पर, दुनिया में है रंग। और निराशा है जहां, बिगड़े उनके ढंग।। आशा के आकाश पर, ही मिलते हैं चाँद। फिर रहती है चाँदनी,होती कभी न माँद।। आशा के आकाश पर, चमचम तारे खूब। चमके जीवन भी सदा,साथ रहे याकूब।। आशा के आकाश पर,जीवन के सब खेल। मुरझाते वो मत कभी,रहे खुशी से मेल।। आशा के आकाश पर,खिलते हैं अरु फूल। झिलमिल झिलमिल बल मिले, मिले निराला कूल।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....