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जीवन के मूल आधार तो परिवार ही हैं

संदीप कुमार सिंह 16 Jun 2023 कविताएँ समाजिक परिवार, समाज, मन्दिर, जीवन, मूल, दर्शन, ज्ञान, मां _बाप, पालन _पोषण, जन्म, मृत्यु, लक्ष्य 7174 0 Hindi :: हिंदी

जीवन के मूल आधार तो परिवार ही हैं
दुनिया का दर्शन तो परिवार ही दिलाते हैं।

परिवार से  ही समाज हैं,
समाज से ही देश हैं।

ज्ञान की प्रथम पाठशाला परिवार ही हैं,
जिस ज्ञान को पाकर हम समाजिक बनते हैं।

मां_बाप का अनन्त उपकार होते है,
जो हमें जन्म देकर पालन_पोषण करते हैं।

परिवार हमें कभी नहीं भूलना चाहिए,
क्योंकि परिवार एक मन्दिर होता है।

परिवार को मन्दिर समझ कर नमन करना चाहिए,
परिवार को विकसित करने के लिए तत्पर रहना चाहिए।

किसी भी वक्त में परिवार निसंकोच साथ देते हैं,
इसलिए हमें अपने परिवार के प्रति स्वच्छ रहना चाहिए।

परिवार को अपने शुद्ध कर्मों से सुरभित करना चाहिए,
परिवार रूपी बाग को माली की तरह देखभाल करना चाहिए।

परिवार से ही परिवार बनते हैं,
जो जन्म से लेकर मृत्यु तक साथ निभाते हैं।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍🏼
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)
बिहार

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