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दरबारे ख़ास-ज़िंदगी के इन राहों में गर

मोती लाल साहु 09 May 2023 शायरी अन्य दरबार-ए-खास में- गैब-ए-इल्म का दरख़्वास्त कर मुर्शिद की दुआएं ले- दीदार-ए-हाल यह आलम होगा- ख़ुद की निगाह होगी- मंज़िल क़दमों में होगी। 15263 0 Hindi :: हिंदी

दरबारे ख़ास!

ज़िंदगी के-
इन राहों में गर,
तमन्ना-ए-दिल में हो
रूहानी सफर का तो 

दरबार-ए-खास में! 

गैब-ए-इल्म का,
दरख़्वास्त कर-
मुर्शीद की दुआएं ले

चश्म-ए-बसीरत क़ुबूल कर,
जीवन के मायने बदल जाएंगे

दीदार-ए-हाल-
यह आलम होगा,
खुद की निगाह होगी 
मंज़िल क़दमों में होगी

दरबारे ख़ास!
-मोती

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