Rupesh Singh Lostom 14 Apr 2023 शायरी प्यार-महोब्बत क्या करे 10354 0 Hindi :: हिंदी
क्या करे तुझ से इश्क़ हैं तो हैं क्या करे तू बात बात में रूठती हैं अब रूठती हैं तो रूठती हैं क्या करे जी करता हैं तुझे मना लू अपने आखो में समां लू पर क्या बताउ वो तो सपने में भी झगड़ती हैं अब झगड़ती हैं तो झगड़ती हैं क्या करे मुझे मालूम हैं की उसे भी हैं थोड़ा थोड़ा बस कहने से डरती हैं डरती हैं तो डरती हैं क्या करे चलो कही दूर चले नील गगन के छोर तले वही कुटिया बनाएंगे कुछ पल साथ बिताएंगे सच मनो मेरा तुझे सुलाने के लिए विस्तर तकिया सिरहाना कूद बन जायेंगे