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तुम हीर से कम नहीं

संदीप कुमार सिंह 27 May 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 6887 0 Hindi :: हिंदी

तुम मिलो या न मिलो, मुझे गम नहीं
पर यह सत्य है, तुम हीर से कम नहीं।
कब तक रोक पाओगी,
 मेरा प्यार तेरे लिए ही है।

तुम नहीं जानती मेरी चाहत को,
मुझ में सिर्फ और सिर्फ तुम हो।
तुम मेरे लिए जिंदगी हो,
तुम ही मेरी बंदगी हो।

तुम हो तो मेरी सुबह_शाम है,
तुम हो तो मेरी दिव्य रैन है।
तुम्हें नहीं पता है की,
मैं तुम्हें इस कदर क्यों चाहता।

तुम दिन की चमक हो,
तुम रात का आराम हो।
तुम मेरे जीवन की बाग हो,
तुम अति पावन आग भी हो।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)
बिहार

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