Shubham Kumar 30 Mar 2023 आलेख दुःखद मेरी तलाक 33049 0 Hindi :: हिंदी
मेरी रचना, तुम मुझे माफ कर देना, मैं तुम्हारा बहुत बड़ा अपराधी हूं,, हाय मैं कितना निर्दई हूं, कि मैंने अपनी पत्नी को, अपने घर से निकाल दिया, मुझे सुबह ही इस बात का एहसास हुआ है, मैंने शादी जैसे, पवित्र बंधन को, तोड़ा है, मैंने उन कसमो को तोड़ा है, जो हमने साथ साथ लिए थे, मैं जहां भी जाऊंगा जिस यात्रा में भी जाऊंगा, या तीर्थ स्थानों को जाऊंगा, तुम्हें लेकर जाऊंगा, हां मेरा ऐसा एकवचन था, लेकिन मैं स्वार्थी, इस बात को कैसे भूल गया, मैं जहां भी जाता हूं, तुम्हें लेकर जाना, अजीब नहीं समझता था, हां मैंने कसम दी _ कि जिस समय तुम अपने सखियों के साथ बैठी रहोगी, उस समय मैं तुम्हारा, अपमान नहीं करूंगा,, लेकिन हाय मैं निर्दई, तुम्हारे सखियों के सामने, ही तुम्हें डांट फटकार लगाया, और तुम्हारी निंदा की, और तुम्हें दो चार थप्पड़ भी जड़ दिया, इससे ज्यादा शर्म की बात क्या हो सकती थी, हां मैंने कसम दी थी, अपने माता-पिता के समान तुम्हारी माता पिता को, या तुम्हारी कुटुंब का आदर करूंगा, लेकिन जब भी तुम्हारा परिवार आता है, तो मैं उसे रत्ती भर भी दाम नहीं देता, हां मैंने कसम दी थी_ कि तुम्हारे सिवा मेरे जीवन में, कोई स्त्री ना आएगी, लेकिन आज यह पति, दूसरी शादी करने के लिए, मचल रहा है, मैं निर्दय नहीं तो क्या हूं_ हां मैंने कसम दी थी कि जो कोई भी कार्य हो, उस पर बिना तुम्हारे सहमति के, वह कार्य नहीं करूंगा, लेकिन आज तुम्हारा पति, कोई भी कार्य अकेले ही करना चाहता है, मैं कितना स्वार्थी हो गया हूं, हां मैंने कसम दी थी, कि मेरी किसी भी धन-संपत्ति, या फिर मेरे तन मन की भागीदारी तुम रहोगी, लेकिन आज मैं तुम्हें, एक फूटी कौड़ी भी देना अजीब नहीं समझता,, मैंने तुम्हें अपने दिल से भी निकाल दिया है, हां मैंने कसम दी थी, युवावस्था से लेकर वृद्धावस्था तक तुम्हें प्यार करता रहूंगा, और तुम्हारी गलतियों को तुम्हें माफ करता रहूंगा,, और हम दोनों साथ में मिलकर सुख दुख भागेंगे, एक पति का फर्ज बनता है वह अपनी पत्नी का हिफाजत करें, मैंने तो तुम्हें अकेला छोड़ दिया,, समाज भी इन बातों को भला कैसे मानता है,, मैं शर्मिंदा हूं, पर मैं कल ही तुम्हें अपनी जिंदगी में, दोबारा लाने की प्रयास करूंगा, जब मुझे तुम्हारी गलतियों पर, डांट लगाना होगा, तो मैं चुपके से, एक बंद कमरे में, तुम्हें डांट लगा लूंगा_ मैं तुम्हारे सिवा किसी और के बारे में, मन में ख्याल भी आता है, तो अपने आप को_ काफी बुरा भला कहूंगा, अब जब भी कोई कार्य करूंगा तो उस कार्य में तुम्हारी सहमति होगी, मैं तुम्हारा राय लेना, अजीब समझूंगा, मैं किसी भी जगह पर या तीर्थ यात्रा पुण्य स्थल, कहीं भी जाने पर, एक बार तुम्हें अवश्य अपने साथ ले जाना चाहूंगा, और मैं कभी भी तुमसे कोई बात, नहीं छुपाऊंगा, और तुम्हारे परिवारों को भी समान दर्जा दूंगा, मैंने जो
Mujhe likhna Achcha lagta hai, Har Sahitya live per Ham Kuchh Rachna, prakashit kar rahe hain, pah...