संदीप कुमार सिंह 25 Apr 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाजिक हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगे। 5238 0 Hindi :: हिंदी
अलौकिक शक्ति मुझ में भी हो यह है कामना, हर बाधा कर सकूं सुगमता से मैं तब सामना। प्रयास का ऊर्जा मुझ में हो प्रभु हरदम हरपल, संयम साधना से कर सकूं शुभ_सफल हर लक्ष्य। मानव जब जोड़ लगाता पत्थर भी पानी हो जाता, चाहत से ही कुछ अलग करने की आती है क्षमता। लगन से डगर पर बिन थके ही चलना चले जाना, अवश्य करी मेहनत का फल देखे जमाना। ध्यान_योग साधना से मिले अलौकिक शक्ति, साथ में प्रबल हो ह्रदय से प्रभु का सच्ची भक्ति। वह दिन तब दूर नहीं होगा अपार होगा शक्ति, होगा प्रमात्मा में मेरा सहर्ष असीम अनुरक्ति। जान जब जायेंगें भूत_भविष्य_वर्तमान की स्थिति, दुनिया से होगा तब मेरा अटूट अटल हार्दिक आसक्ति। सम्मोहन का जादुई शक्ति जब अपने बस में होगा, लोगों को तब विषेश उपहार मैं मजे से खूब दूंगा। समस्या लोगों का दूर तब मैं नित करता रहूंगा, अलौकिक शक्ति से दुनिया रौशन करता रहूंगा। मनुज जन्म सार्थक सफल कर जगमग रहेगा, आने_वाले नस्ल के लिए सुनहरा सौगात रहेगा। नव पीढ़ी में इस ज्ञान का दिव्य संज्ञान रहेगा, फिर सुदृढ़ सजग समाज का नव निर्माण होगा। खुशियों ही खुशियों का तब साम्राज्य होगा, दुनिया में देव लोक से दिव्य आभा की प्रकाश होगा। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....