SHAHWAJ KHAN 10 Jun 2023 कविताएँ समाजिक कितने मधुर थे जीवन के वो पंछी, अपने , साज , सुर, आज, जीवन के पल 12226 2 5 Hindi :: हिंदी
कितने मधुर थे समय के पंछी जिनकी अब आवाज नहीं है बिखर गये है सारे सुर अब तानों में साज नहीं है| कुछ खोया है कुछ पाया है कुछ अपने अब साथ नहीं है बिता चुके जो जीवन के पल वो जीवन अब आज नहीं है| ********* शहवाज खान*********
10 months ago