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किसान पर कविता

Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #Rambriksh Bahadurpuri #Rambriksh Bahadurpuri kavita #Rambriksh Bahadurpuri Ambedkar Nagar #Kisaan per kavita #Ambedkar Nagar poetry 10254 0 Hindi :: हिंदी

                 किसान -पर कविता

बीज नहीं उम्मीदें बोता 
आशाओं का दीप सजोता
मंद हवा भी उन दीपों को 
फिर भी क्यों जलने ना देता!
                   झेल दुर्दशा रहा किसान,
                   कैसे होगा देश महान। 

घर परिवार संभाले रखी
तब भी चलती इन पर चक्की
अर्थव्यवस्था निर्भर इन पर
समझे कौन समस्या इनकी!
                   सोंचो कैसे बिना किसान,
                   होगा भारत देश महान!

तपती धूप चले पुरवाई
बहे गर्म पछुआं दुखदाई 
गिर गिर मिट्टी मिले पसीना
खड़ा बीच वह करे सिंचाई
                  समझे न कोई एहसान,
                  झेल दुर्दशा रहा किसान। 


पूरा कौन हुआ कब सपना
समझा कौन इन्हें है अपना
दर्द कर्ज व मर्ज में जीवन
जी कर भी पड़ता है सहना
                 फांसी ही इनका पहचान,
                 कैसे होगा देश महान। 

हुई रात कब हुआ सबेरा
सुख से होता कहां बसेरा
खुद की थाली होती खाली
देता भोजन तेरा मेरा
                 असल यही सबके भगवान,
                 इनसे होगा देश महान। 



रचनाकार -रामबृक्ष बहादुरपुरी अम्बेडकरनगर यू पी 

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