संदीप कुमार सिंह 30 Apr 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाजिक हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 22235 0 Hindi :: हिंदी
खून में उबाल भरता हूं, जोश को तूफानों में, तब्दील करता हूं। आग की लौ बन जाता हूं, पानी का विस्तार बन जाता हूं। शक्तिशाली हूं, महाशक्ति बनना चाहता हूं। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....