Sudha Chaudhary 21 Jun 2023 कविताएँ अन्य 4796 0 Hindi :: हिंदी
जाकर उसे जगाओ जो कब से सो रहा है। मेरे खिलाफ जिसका सब चूर हो रहा है। बीती रागिनी का चंद ताल होकर, जमाने की रोशनी से दूर हो रहा है। फुर्सत जिसे नहीं है, विश्वास की कमी है, अनमोल जिंदगी से बेमेल हो रहा है। अब तक कहे तो हम खुशनुमा नहीं हैं भारी जुबान से जो मौत कह रहा है। तुम्हारी लेखनी से मेरी कलम भारी न पड़ जाए इस भ्रम में जिंदगी का तोल हो रहा है। सुधा चौधरी बस्ती