मारूफ आलम 30 Mar 2023 ग़ज़ल समाजिक #maroofalam, #sad sayari#gajal,social sayari, lovely sayari 63906 0 Hindi :: हिंदी
जिस्म थे नुमाइश थी दिखावट थी सब ओर असल चीज गायब थी बनावट थी सब और खानदान ही खानदान के खून का प्यासा था रोजी रोटी के झगड़े थे अदावत थी सब ओर उकसाए थे लोग आकर शैतानों की टोली ने जलते इंसा चीख रहे थे बगावत थी सब ओर लुटती रहीं इज्जतें शाहों के दौरे जहालत मे लोकतंत्र का नाम न था नवाबत थी सब ओर धरती पानी निगल गई इंसानों के हिस्सों का प्यासी थी दुनियाँ अब,कयामत थी सब ओर मारूफ आलम