संदीप कुमार सिंह 03 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5236 0 Hindi :: हिंदी
(दोहा छंद) सभी शोहरत पास हो,रहे मजबूत हाथ। पता नहीं किस मोड़ पर,किस्मत दे दे साथ।। पता नहीं किस मोड़ पर,पूर्ण सभी हो खोज। मन में सुरभित शांति हो,जीवन में हो ओज।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....