Shiv Kishore 10 Jun 2023 शायरी समाजिक #मेरे हाथों की लकीरें सब सफ़ा हो गई #तकदीरे #क़िस्मत# दफ़ा 7333 0 Hindi :: हिंदी
मेरे हाथों की लकीरें सब सफ़ा हो गई , तकदीरें मेरी सब बेवफ़ा हो गई , फिर से जगी क़िस्मत तो लकीरें भी आ गईं ___ कुछ दिन ठहरीं फिर सब दफ़ा हो गई । ______शिव किशोर , शाहजहांपुर (यूपी)