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एक झूठे सपनों का रेस जिसका कोई मंज़िल नहीं

मोती लाल साहु 12 Jun 2023 शायरी समाजिक स्वभाव से शांत हूं- शांति के साथ रहता हूं- यह ठाठ है नवाबों का, वरना जिसे लोग दौलत समझते हैं एक झूठे सपनों का रेस है जिसका कोई मंजिल नहीं। 5892 0 Hindi :: हिंदी

स्वभाव से शांत हूं-
शांति के साथ रहता हूं,
यह ठाठ है नवाबों का-जनाब..!

वरना इस दुनिया में-
जिसे लोग दौलत समझते हैं..!!
 
एक झूठे-
सपनों का रेस है,
जिसका कोई मंज़िल नहीं...!!!
-मोती

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