Raj Ashok 17 Jan 2024 कविताएँ देश-प्रेम सौन्दर्यऔर शौर्य 4844 0 Hindi :: हिंदी
शोन्दर्य और शौर्य की चर्चा कभी मेवाड़ कि भूमि पे आम थी ।। आईने भी शौकीन थे। रानी पद्मावती के रूप की एक छलक पाने को, क्या सोचते हो तुम ,अमरता के स्वरूप भी मिटे है। कभी मातृभूमी के संकट पर देश पहले हर स्वरुप हर जीवन से यही तो वह शिक्षा है। जो गर्भ से एक माँ अपने सपूत को देते आई है। अपनी मातृभुमी पे कुर्बान अपनी आन-बान शान ।