Raysingh Madansingh Rauthan 16 Dec 2023 कविताएँ समाजिक जिस प्रकार से फूल हमेशा खिलखिलाता रहता है चाहे वो किसी भी हालात में हो, उसी प्रकार इंसान को भी हमेशा मुस्कुराना चाहिए चाहे वो किसी भी हालत में हो , फूलों से हमें खुश रहना सीखना चाहिए 12321 0 Hindi :: हिंदी
"सुमन इस धरा की " मैं सुमन इस धरा की खिलखिलाती हूँ मुस्कराती सबको मैं हँसाना सिखाती कष्टों को सहना सिखाती कठोर धुप में खिलखिलाती घोर बारिस में में भी मुस्कराती पवन के झोंकों को सहती अंधी तुफानो से न डरती भँवरे - तितली को मधुपान कराती कभी गले का हार बन जाती कभी हाथों में खिलखिलाती कभी राहों की शान बन जाती कहीं पाँव तले कुचलाती कहीं देवों की शोभा बढ़ती फिर भी मैं हंसती रहती शान हूँ इस धरती की कहीं बागानों में खिल जाती कहीं राहों में खिल जाती हार जगह में खिलखिलाती में सुमन इस धरती की जग की में शान बन जाती खुसबू से सबको महकाती में सुमन इस धरती की खिलखिलाती हूँ मुस्कुराती वसंत ऋतू खूब है भाटी हार सुबह में खिल जाती पुष्पदल अपना फैलाती भंवरों का ध्यान बंटाती तितलियों को खूब लुभाती मधुपान करा के उन्हें झुलाती मैं सुमन इस धरा की खिलखिलाती हूँ मुस्कुराती :- रायसिंह मदनसिंह रौथाण
Employee in pvt company. Hobbies is writing poems and history....