Kalindri pal 30 Mar 2023 कविताएँ बाल-साहित्य 8895 0 Hindi :: हिंदी
आजा बचपन तुझे बतलाऊं ; जवानी से मैं पछताऊं। छोटे बच्चों के संग मे मैं , चाहें जहां घूम- फिर आऊं। कोई भी मुझको कुछ न कहता, चाहे जिसको जो कह जाऊं। चाहें झगड़ा करूं किसी से, जितनी भी गलती कर जाऊं। कहना मानूं या ना मानूं , फिर भी मै तो डांट न खाऊं । माँ-बापू नाराज न होवे, चाहें जितना उन्हें सताऊँ। बडे भाई से झगड़ा कर दूॅ , माँ-बापू डांट खिलाऊं। जवानी में सब उल्टा है, जवानी में मैं घबराऊं। आजा बचपन तुझे बुलाऊं; जवानी में मैं पछताऊं।
I am kalindri pal *betul*. I am from village and post nighuwamau block Machhrehata district Sitapur...