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सोचा-मैं महलों की रानी होती

Nasima Khatun 23 Jun 2023 कविताएँ बाल-साहित्य मन को बहलाने वाली कविता 5989 0 Hindi :: हिंदी

एक दिन मैंने सोचा
मैं महलों की रानी होती
जो मन करता वो मैं खाती
मेरे आगे पिछे दासी होते
मम्मी पापा मेरे साथ होते
मैं घुमती बागों में
खोई रहती खाबो में
फल तोड़ती में पेड़ों से
बैठती में घोड़ों पे
सोने का मेरा महल होता
चारों तरफ़ पहरेदार होते
मैं खिड़की पे बैठी रहती
तितली मुझे छु कर जाती
कपड़े होते मेरे मोती के
लोग चर्चा करते कपड़े के
रातों में पढ़ने बेठती
अच्छे अच्छे सवाल पुछती
भाई बहनें खेलते कुदते
मेरे मन मचल उठते
जन्मदिन पे में गिफ्ट लू
जो मन करे वो मैं खरीदु

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